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By Aamir
January 30, 2023
उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए एक आवश्यक फसल गन्ना है।
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गन्ने के विकास के लिए, पानी की सही अवस्था बहुत जरूरी है, खास कर के सर्दी के मौसम में।
गन्ने के खेत में उत्पदान बढ़ाने के लिए फर्टिलाइजेशन बहुत जरूरी है।
उत्तर प्रदेश में, किसान ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक फर्टिलाइजर्स का मिश्रण करते हैं, जिससे फसल को जरूरी पोषक मिल सके।
उत्तर प्रदेश में, गन्ने की खेती के लिए, नियमित छला-पला बहुत जरूरी है।
हाथ से छला-पाला या फुनकी का इस्तेमाल, शाकनाशियों के कारण गन्ने के पेड़ो को खराब करने से बचने के लिए, सबसे अच्छा तरीका होता है।
गन्ने, जिस्मे स्टेम बोरर, लीफहॉपर और स्केल कीट जैसी बीमारी के बच्चे हैं, के लिए अतिसंवेदनशील होता है।
किडे के कश्त को देखते रहे और संभव खाद्य-पदार्थ का इस्तेमाल कर, इन्फेक्शन को कंट्रोल करने के लिए जल्दी कदम उठाएं।
गन्ने के पेड़ो को, स्वस्थ विकास के लिए और बीमारी के जोखिम को कम करने के लिए, नियमित रूप से छांटना फायदेमंद होता है।
पेड़ के पट्टो को 30 सेंटीमीटर ऊपर से हटाकर, पेड़ को नए विकास के बने हुए उत्पन्न करने के लिए प्रेरित करें।
गन्ने की कटाई आमतौर पर रोपण के 10-12 महीने बाद की जाती है।
जब तने अपने अधिकतम आकार तक पहुँच चुके होते हैं और चीनी की मात्रा अपने उच्चतम स्तर पर होती है।
गन्ने की कटाई सावधानी से करें, इस बात का ध्यान रखें कि तनों या आसपास के पौधों को नुकसान न हो।